RBI News: रेपो दर में कटौती से आर्थिक गतिविधियों को मिलेगा बल: उद्योग

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RBI News: नई दिल्ली: उद्योग जगत ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की अप्रत्याशित कटौती के फैसले को साहसिक कदम बताया और कहा कि इससे आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा।

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वाणिज्य एवं उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (फिक्की) के अध्यक्ष हर्षवर्धन अग्रवाल ने आरबीआई के निर्णय का स्वागत किया और इसे “साहसिक और सक्रिय कदम” करार देते हुए कहा कि यह बाजार की अपेक्षाओं से कहीं अधिक है और इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि आरबीआई आर्थिक वृद्धि को प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध है।

श्री अग्रवाल ने कहा कि यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब भारतीय अर्थव्यवस्था व्यापार अनिश्चितताओं, वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों और वित्तीय बाजार में अस्थिरता जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रही है। उन्होंने कहा, “यह समय पर लिया गया कदम घरेलू मांग को मजबूत करेगा, ऋण उठाव को प्रोत्साहित करेगा और समग्र आर्थिक गतिविधियों को गति प्रदान करेगा।” उन्होंने आरबीआई के 6.5 प्रतिशत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर के अनुमान और सौम्य मुद्रास्फीति दृष्टिकोण को भी भारतीय अर्थव्यवस्था की लचीलापन का प्रमाण बताया।

फिक्की अध्यक्ष ने यह भी कहा कि आरबीआई ने मुद्रास्फीति पर नियंत्रण और आर्थिक वृद्धि के बीच संतुलन साधने में सफल रही है, जो मौजूदा वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह नीति निर्णय वित्तीय प्रणाली में सहजता बढ़ाएगा और सभी क्षेत्रों विशेषकर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को राहत देगा, जिससे आर्थिक गति को स्थायी आधार मिल सकेगा।

उद्योग संगठन एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर ने कहा कि आरबीआई के इस कदम से ऋण दरों में गिरावट आएगी, जिससे आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा और विशेष रूप से पूंजीगत व्यय की योजनाओं के लिए उद्योगों को ऋण लेने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि ब्याज दर के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों जैसे रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल, बुनियादी ढांचा, निर्यात और एमएसएमई क्षेत्रों में ऋण की मांग बढ़ने की संभावना है, जिससे व्यापार गतिविधियों को नई गति मिल सकती है। बैंकिंग, एफएमसीजी, पूंजीगत वस्तुएं और आवास क्षेत्र के इक्विटी बाजारों में भी सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है। साथ ही बॉन्ड यील्ड में संभावित गिरावट से निश्चित आय निवेशकों को लाभ होगा।

एसोचैम के महासचिव मनीष सिंघल ने कहा कि दरों में कटौती उपभोक्ताओं और कॉरपोरेट्स दोनों के लिए उधारी की लागत को कम करेगी, जिससे ऋण की मांग और उपभोग में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि यह निर्णय कृषि क्षेत्र के लिए भी राहत लाएगा, खासकर बुवाई के मौसम से पहले, जब किसानों को अधिक फंड की जरूरत होती है। साथ ही, ग्रामीण मांग में भी सुधार होने की संभावना है यदि यह राहत प्रभावी रूप से ग्रामीण ऋण चैनलों के जरिए आगे बढ़ती है।

वहीं, एसोचैम ने आगाह किया कि आमतौर पर दरों में कटौती से रुपये पर दबाव पड़ सकता है, विशेषकर तब जब अमेरिका के साथ वास्तविक ब्याज दर का अंतर कम हो जाता है। हालांकि, भारत के मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार और पूंजी प्रवाह इस अस्थिरता को सीमित कर सकते हैं। हल्का रुपया मूल्यह्रास आईटी सेवाओं, फार्मास्यूटिकल्स और इंजीनियरिंग सामान जैसे क्षेत्रों में निर्यात को प्रोत्साहित कर सकता है।

वैश्विक परिदृश्य पर टिप्पणी करते हुए एसोचैम ने कहा कि वर्ष 2025 में अधिकांश वैश्विक केंद्रीय बैंक या तो तटस्थ रहेंगे या नरम रुख अपनाएंगे क्योंकि वैश्विक मुद्रास्फीति में गिरावट का रुझान है। ऐसे में आरबीआई को बिना किसी तीव्र पूंजी बहिर्वाह के जोखिम के, दरों में कटौती के लिए अधिक स्वतंत्रता प्राप्त होगी। हालांकि संगठन ने कहा कि व्यापार व्यवधान, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और मौसम से जुड़ी अनिश्चितताएं अभी भी सतर्कता बरतने की मांग करती हैं।

रियल एस्टेट कंपनी एमओआरईएस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मोहित मित्तल ने कहा कि इस कटौती से आवास ऋण की ब्याज दरों में गिरावट आएगी, जिससे खरीददारों को बड़ी राहत मिलेगी और आवास मांग में उल्लेखनीय तेजी आ सकती है। उन्होंने कहा, “हमारे आंतरिक विश्लेषण के अनुसार, आवास ऋण की ब्याज दर में 0.5 प्रतिशत की कटौती 70 लाख रुपये के ऋण पर 20 वर्षों की अवधि में छह लाख से आठ लाख रुपये तक की बचत दे सकती है। यह वह प्रोत्साहन है जो गंभीर खरीदारों को इरादे से कार्रवाई की ओर ले जाता है।”

श्री मित्तल ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) जैसे गतिशील बाजारों में खरीददारों की डिजिटल खोज से लेकर साइट विजिट तक की यात्रा अब केवल दो-तीन सप्ताह में पूरी हो रही है। यदि बैंक रेपो दर कटौती का लाभ तुरंत ग्राहकों को देना शुरू करते हैं तो तीसरी तिमाही तक आवास खरीदारी में 12-15 प्रतिशत तक वृद्धि देखी जा सकती है।

मुथूट फिनकॉर्प लिमिटेड ने कहा, “रेपो दर और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती से न केवल ऋण की लागत कम होगी बल्कि बैंकिंग प्रणाली में तरलता भी बढ़ेगी। हमें वंचित परिवारों, पहली बार कर्ज लेने वालों और सूक्ष्म उद्यमियों तक अधिक किफायती और सुलभ ऋण समाधान पहुंचाने में मदद करेगा, जो भारत की अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के असली चालक हैं।”

केयर एज रेटिंग की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अपनी नवीनतम बैठक में रेपो दर में 50 आधार अंकों की कटौती की घोषणा की, जो बाजार की अपेक्षाओं से अधिक रही। इस फैसले को नीतिगत नरमी को आगे खिसकाने के रूप में देखा जा रहा है, जिससे वित्त वर्ष 2025-26 के शेष भाग के लिए दरों में किसी और बड़ी कटौती की संभावना सीमित हो गई है। इसके साथ ही समिति ने मौद्रिक रुख को “समायोज्य” से “तटस्थ” में बदल दिया, जो स्पष्ट संकेत देता है कि निकट भविष्य में नीति में और ढील देने की गुंजाइश सीमित रह सकती है।

सुश्री सिन्हा ने कहा कि एक महत्वपूर्ण निर्णय में रिजर्व बैंक ने सीआरआर में भी 100 आधार अंकों की कटौती की घोषणा की, जिससे बैंकिंग प्रणाली में लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये की टिकाऊ तरलता आने की उम्मीद है। यह कदम नीतिगत दरों में कटौती के असर को ऋण दरों तक पहुंचाने में मदद करेगा और साथ ही आर्थिक गतिविधियों को गति देगा।

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