new delhi news राजधानी दिल्ली में यमुना नदी के प्रदूषण के प्रमुख कारणों में नजफगढ़ और शाहदरा नाले का प्रमुख योगदान है। पर्यावरण एवं विज्ञान केन्द्र (सीएसई) की गुरुवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई। रिपोर्ट के अनुसार, ये दोनों नाले यमुना में 84 प्रतिशत तक प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि यमुना की सफाई के लिए दिल्ली सरकार ने 2017 से 2022 तक 6856 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, फिर भी प्रदूषण की स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि दिल्ली के 22 किलोमीटर के यमुना हिस्से का प्रदूषण पूरे नदी के प्रदूषण का 80 प्रतिशत योगदान देता है, हालांकि यह हिस्सा नदी की कुल लंबाई का मात्र दो प्रतिशत है। सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार, इस हिस्से के प्रदूषण में प्रमुख कारण नालों का गंदा पानी है, जिसे नदियों में छोड़ा जा रहा है।
मल-मूत्र टैंकरों की निगरानी
रिपोर्ट में यह भी उजागर हुआ है कि दिल्ली में जहां सीवर लाइन नहीं हैं, वहां सेप्टेज टैंक से मल-मूत्र को टैंकरों द्वारा नाले में गिरा दिया जाता है। सीएसई ने इस पर सुझाव दिया है कि इन टैंकरों पर जीपीएस लगा कर उन्हें निगरानी में रखा जाए, ताकि प्रदूषित जल को सही तरीके से उपचारित किया जा सके।
उपचारित पानी का सही उपयोग
सीएसई ने यह भी बताया कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से उपचारित पानी का सही तरीके से उपयोग नहीं किया जा रहा है। इस पानी को नालों में छोड़ा जा रहा है, जबकि इसे सीधे यमुना में डालने से नदी की स्थिति में सुधार हो सकता है।
84 प्रतिशत प्रदूषण के लिए नजफगढ़ और शाहदरा नाले जिम्मेदार
