यूपी में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2027 के विधानसभा चुनावों में हैट्रिक लगाने की प्लानिंग पर काम शुरू कर दिया है। भाजपा ने अपने मौजूदा विधायकों के कामकाज का त्रिस्तरीय सर्वेक्षण शुरू किया है, जिसके आधार पर 2027 में विधानसभा चुनाव के लिए टिकट उम्मीदवारों का टिकट तय किया जाएगा। पार्टी द्वारा कराया जा रहा ऑडिट में विधायकों के प्रदर्शन, जनता से जुड़ाव और क्षेत्र में उनकी जनता में लोकप्रियता का आंकलन किया जाएगा।
भाजपा संगठन और सरकार के स्तर पर यह सर्वेक्षण कराया जा रहा है, जिसमें विधायकों की कार्यशैली, जनता की समस्याओं के समाधान में उनकी सक्रियता और सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर ध्यान दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, यह ऑडिट पार्टी की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत कमजोर प्रदर्शन करने वाले विधायकों को टिकट से वंचित किया जा सकता है, जबकि बेहतर प्रदर्शन करने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी।
लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन
बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को उत्तर प्रदेश में केवल 33 सीटें मिली थीं, जो 2019 के 62 सीटों की तुलना में बड़ा झटका था. कहा जा रहा है कि इस प्रदर्शन ने पार्टी को अपनी रणनीति में बदलाव के लिए बाध्य किया है। हाल के उपचुनावों में बीजेपी-एनडीए ने नौ में से सात सीटें जीतकर वापसी की है, जिसने पार्टी का मनोबल बढ़ा है। अब पार्टी 2027 में 403 विधानसभा सीटों में से 80 प्रतिशत से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में यह दावा भी किया था।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि यह सर्वेक्षण न केवल विधायकों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करेगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर संगठनात्मक कमजोरियों को भी उजागर करेगा। इसके आधार पर पार्टी नए चेहरों को मौका दे सकती है और दलित, ओबीसी और अन्य समुदायों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए विशेष अभियान चला सकती है.बीजेपी की इस रणनीति को विपक्ष, खासकर समाजवादी पार्टी (सपा), के बढ़ते प्रभाव को रोकने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। सपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में 37 सीटें जीतकर बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का यह ऑडिट और सर्वेक्षण 2027 में सत्ता बरकरार रखने की दिशा में एक सुनियोजित कदम है।
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